मुझे सिर्फ़ इतनाही कहना है ,कि , गर कुदरत ने इन्हें ऐसा बनाया है ,तो ये गुनाह नही हो सकता ...मेरे ख़याल से , पशुओं में संशोधन हुआ है , जहाँ , इस तरह की "विकृति "पाई जाती है ...हम अधिकसे अधिक इसे विकृति कह सकते हैं ...और कुछ नही ...या तो इनका 'medical science" में कोई उपचार हो, सामने लाया जाय ....लेकिन इस मनोवृत्ती को ,'गुनाह 'के अलावा कुछ भी कहें , ये गुनाह यक़ीनन नही ..बलात्कारी खुले आम घुमते हैं...उन्हें सज़ा मिलना ज़्यादा ज़रूरी है...
मेरे विचार से आज हमारे सामने अन्य कितनेही महत्त्व पूर्ण विषय हैं ...समस्याएँ हैं , जिनसे हमें झूजना है ...जिन्हें प्राथमिकता देनी है ..जैसे , जातीय वाद , आतंकवाद , पर्यावरण का विनाश .. इससे अधिक कुछ कहने की क़ाबिलियत नही रखती...
Tippanee ke liye mujhe aamantrit kiya, aapkee tahe dil se shukrguzaar hun...!
हा हा हा कपडों से तो यही लगता है !!ये वही बात हो गई !! एक बुजुर्ग बोला एक आदमी से : कमाल की लडकियां है कपडे ऐसे हैं की पता ही नहीं चलता लड़की है या लड़का !! आदमी बोला: वो मेरी बेटी है !! बुजुर्ग बोला: अच्छा आप उसके बाप हैं!! वो बोला: नहीं मैं उसकी माँ हूँ !!
स्कूल की कॉपी-किताबों में कार्टून बनाते-बनाते कब कार्टूनिस्ट बन गया
कुछ पता ही नहीं चला. गालव रषि की तपोभूमि ग्वालियर में जन्म पाया.
कार्टून के शौक को देखते हुए पिता श्री के.सी. चतुर्वेदी ने प्रोत्साहित
किया. अखबारों में कार्टूनिंग की विधिवत शुरुआत १९९३ दैनिक भास्कर,
ग्वालियर से हुई. कार्टूनिंग के इस सफर में ग्वालियर, रोहतक, जयपुर,
भोपाल में काम करने का मौका मिला. पिछले एक साल से राष्ट्रीय दैनिक
हरिभूमि में ग्रुप कार्टूनिस्ट की हैसियत से काम कर रहा हूं....
अनुराग चतुर्वेदी
98938-86910
21 टिप्पणियां:
क्या बात है!! आज सुबह पेपर पर नज़र डाली तो मुख्य समाचार यही था, तभी आपकी याद आ गई, मालूम था ज़रूर कुछ बेहतरीन मिलेगा..
cartoonist hoon
cartoonist se
pyar karta hoon
Humko tumse
"Anurag" hai
Dil se
यह आज की भारत है ...........खैर औरते महफूज हो जायेंगी.........जब आदमी आदमी से प्यार करेगा......क्या बात है..............
मुझे सिर्फ़ इतनाही कहना है ,कि , गर कुदरत ने इन्हें ऐसा बनाया है ,तो ये गुनाह नही हो सकता ...मेरे ख़याल से , पशुओं में संशोधन हुआ है , जहाँ , इस तरह की "विकृति "पाई जाती है ...हम अधिकसे अधिक इसे विकृति कह सकते हैं ...और कुछ नही ...या तो इनका 'medical science" में कोई उपचार हो, सामने लाया जाय ....लेकिन इस मनोवृत्ती को ,'गुनाह 'के अलावा कुछ भी कहें , ये गुनाह यक़ीनन नही ..बलात्कारी खुले आम घुमते हैं...उन्हें सज़ा मिलना ज़्यादा ज़रूरी है...
मेरे विचार से आज हमारे सामने अन्य कितनेही महत्त्व पूर्ण विषय हैं ...समस्याएँ हैं , जिनसे हमें झूजना है ...जिन्हें प्राथमिकता देनी है ..जैसे , जातीय वाद , आतंकवाद , पर्यावरण का विनाश ..
इससे अधिक कुछ कहने की क़ाबिलियत नही रखती...
Tippanee ke liye mujhe aamantrit kiya, aapkee tahe dil se shukrguzaar hun...!
अरे बाप रे, अब अदमियो की "इज्जत" भी लुट सकती है :) राम राम राम
kya bat hai..JORDAR DHAMAKA...CARTOON ME LADKE NE JO AANKH MARI HAI..KABILE TARIF HAI...
नितांत मानवीय सोच.
बेड़ा गर्क!
न्यायाधीश जी!
पशु-पक्षियों और पकृति से
ही सबक ग्रहण कर लो।
सही बनाया है
धन्य हुए!!
om aryaji se sahmat hoon shukrya
बेडा गर्क हो तेरा......घर में बाप भाई नहीं है...
अब कहने के लिये कुछ नही बचा.......अब तो रास्ते मे अपनी इज़्ज़त बचानी पडेगी!
छाये रहिये, सारे रेखा चित्र सुन्दर है.
’सच में’ पर अपना प्रेम बनाये रहें.
बुलन्द भारत की बुलन्द तस्वीर......हमारा भारत..:)
वाह वाह क्या बात है! उम्दा कार्टून बनाया है आपने!
हा हा हा कपडों से तो यही लगता है !!ये वही बात हो गई !! एक बुजुर्ग बोला एक आदमी से : कमाल की लडकियां है कपडे ऐसे हैं की पता ही नहीं चलता लड़की है या लड़का !! आदमी बोला: वो मेरी बेटी है !! बुजुर्ग बोला: अच्छा आप उसके बाप हैं!! वो बोला: नहीं मैं उसकी माँ हूँ !!
इस कानून का श्रीगणेश न्यायधीश महाराज अपनी शादी किसी पुरुष से कर के करते तो सार्थकता और बढती....
साढ़े सत्यानाश !!!
hahah.... gud hai... aapke cartoon ke saath saath yahan ki tippniyon kaa bhi apnaa luft hai... :)
supurb!!
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