स्कूल की कॉपी-किताबों में कार्टून बनाते-बनाते कब कार्टूनिस्ट बन गया
कुछ पता ही नहीं चला. गालव रषि की तपोभूमि ग्वालियर में जन्म पाया.
कार्टून के शौक को देखते हुए पिता श्री के.सी. चतुर्वेदी ने प्रोत्साहित
किया. अखबारों में कार्टूनिंग की विधिवत शुरुआत १९९३ दैनिक भास्कर,
ग्वालियर से हुई. कार्टूनिंग के इस सफर में ग्वालियर, रोहतक, जयपुर,
भोपाल में काम करने का मौका मिला. पिछले एक साल से राष्ट्रीय दैनिक
हरिभूमि में ग्रुप कार्टूनिस्ट की हैसियत से काम कर रहा हूं....
अनुराग चतुर्वेदी
98938-86910
15 टिप्पणियां:
हा..हा.. मस्त सही है गरीबों पर सिर्फ राजनीती की जाती है , कितना कुछ कह जाते हैं कार्टून , चलो किसी ने सोचा तो सही थरूर के बारे में|
bahut sundar post hai aapaka ............bahut kuchh kah gaye ..........
सही है गरीबों पर सिर्फ राजनीती की जाती है ....
सही है....!!
बहुत बढिया.....आपने तो इन कार्टूनों के जरिए सच्चाई ही ब्यां कर दी...गरीब तो बने ही राजनीति की खातिर हैं।।
बहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए! बढ़िया कार्टून बनाया आपने जो बहुत कुछ कह दिया! मस्त लगा! दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें!
jai ho anuraag ji
deri se aane ke liye maafi
aapke banaye hue cartoon sacche aur saarthak hai aur mauzuda sarkaari tantr par prahaar karte hai ..
meri badhai sweekare..
regards,
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
ha ha ha ....bahut badhiya kartun banya hai aapne..mere blog pe aapka swagat hai
मज़ा आ गया ।
jawab nahi aapka
बहुत खूब ..अनुराग भाई आज कल गायब सा दिखाते है कहाँ है भाई आज कल.??
हा हा हा बहुत बडिया धन्यवाद्
बहुत सुंदर, बेचारे यह भी थक गये है
jandar,shandar,damdar.narayan narayan
बहुत सुन्दर ..मजा आ गया.
बिलकुल सही फ़रमाया जी, गरीबो पर राज नीति,धन्यवाद लेकिन इतने समय बाद आये, कहा गुम रहे इतने दिनो???
एक टिप्पणी भेजें