रविवार, 28 जून 2009

बाप रे....


मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाना नहीं है.....

यदि किसी की भावनाओं को चोट पहुची हो तो उसके लिए

मैं क्षमा चाहता हूँ....समाज का जिस तरह पतन हो रहा है उसने मुझे

यह कार्टून बनाने पर मजबूर कर दिया...महिलाएं सड़कों पर सार्वजानिक

स्थानों पर यहाँ तक की अब घर पर भी महफूज़ नहीं हैं...

एक बार फिर पिताओं से माफ़ी मांगता हूँ .....

27 टिप्‍पणियां:

Indrani ने कहा…

Sad!
The emotion well expressed.

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट ने कहा…

kafi gambhir cartoon hai, bahut kuch sochne ko majboor karta hai..

Nitish Raj ने कहा…

ये समाज की हार है हमारी हार है समाज का नैतिक पतन है। अंदर तक झकझोरने वाला कार्टून।

Kavita Saharia ने कहा…

An artist has full rights to express himself through his work...you are only reflecting whats happening in society....brave attempt,applauadable.

Udan Tashtari ने कहा…

हिला दिया भीतर तक आपने!!

क्या कहें-मानवता शर्मसार होती है.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

दुखद।

Dr. Rakesh Pandey ने कहा…

really u have stunned everyone by ur expression.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

घोर कलयुग।
राम...राम..राम...

निर्मला कपिला ने कहा…

jindagee aadami se savaal karne lagee hai
naye daur pe malaal karne lagee hai
chali hain habas kee aisee aaMMdhian betee dar baap se filhaal karane lagi hai
vyang ke maadhyam se itanaa gambheer vishay kamaal hai shubhkamnayen

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

गम्भीर मसला है ये...अच्छा प्रयास.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आप की हिम्मत को सलाम!

Murari Pareek ने कहा…

कडुवा सत्य बताया है कार्टून के जरिये!!

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi maarmik wishya ko duniya ke saamane project kiya hai ...............yah puri sachchaaee hai isame kshmaa mangane jarurat nahi hai.........jo galat hai to galat hai............atisundar dhero badhaaee

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

Samaj kitna ganda ho raha hai uncle ji...ap aise hi inki class lete rahiye.Ap kaise hai.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

कभी कभी तो सोचने पर मजबूर होना पडता है कि आखिर हमारा समाज किस ओर जा रहा है!!!!आपके कार्टून ने तो झकझोर डाला......

ARUNA ने कहा…

ohhh yeh tho chintaa karne waali baat hai!!!

दिलीप कवठेकर ने कहा…

इसमें माफ़ी मांगने जैसी कोई बात नही है.

वह शैतान पिता मात्र संयोग से ही है, कर्म से नही. हम सभी पिताओं को एक इस पिता नें शर्मसार किया है.

कार्टून गंभीर ही होते हैं, क्योंकि हलके फ़ुल्के अंदाज़ में हास्य से गंभीर विषय को और मूल्योंको स्थापित करते हैं आप के द्वारा यह कार्य एक समाज सेवा ही तो है.आप क्यों माफ़ी मांगे?

ghughutibasuti ने कहा…

यह कार्टून आपको बनाना पड़ा इससे अधिक दुखद व लज्जाजनक बात और क्या हो सकती है?
घुघूती बासूती

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

दिलीप जी की बात से सहमत हूँ ...मैं भी ऐसे कई किस्से सुन चुकी हूँ ....ये कृत अधिकतर नशेड़ियों का होता है ....जिन्हें अपनी ही बेटी सिर्फ देह नज़र आने लगती है ....!!

Urmi ने कहा…

मुझे नहीं लगता की आपने किसीकी भावनाओं को ठेस पहुँचाया है बल्कि सच्चाई बयान किया है ! आज तो ये हालत हो गई है की लड़कियों के लिए घर भी महफूज़ नहीं है! ये कितनी शर्मनाक घटना है जो पिताजी इस हद तक गिर सकते हैं! इसे इंसान नहीं कहा जा सकता बल्कि हैवान कहना चाहिए! आपने बढ़िया कार्टून बनाया है!

weblooktimes ने कहा…

vakai dunia kitani jalim hoti ja rahi hai, jo ki pita-putri ke rishaton ko hi tar-tar kar rahe hai. ab aise mai kaun bharosa karega.
Aur aapake liye mai kahana chahunga ki aapane vakai achchha kam kiya hai, jo ki such ko samane laye. aapne 2 shabdon mai hi bahut kuch kah diya.
thanks and very good

Doobe ji ने कहा…

anurag bhai.....mein is cartoon se sehmat nahi hoon .....mana ki kalakar ko abhivyakti ki swatantrata hai....phir bhi hum cartoonists ko is baat ka khyal rakhna chahiye ki kis ghatna par cartoon yani ke vyang ya katakch kiya jaye kis par nahi....this is my view please do not mind..ok

cartoonist anurag ने कहा…

dube ji...
jab hum cartoon k madhyam se kisi ko marne par shradhnjali de sakte hain to ese gambheer aour sharmnaak vishay se apna muh kaise mod sakte hain...

hamaari jimmedari banti hai ki eise vishyon ko uthayen aour samne layen...

keval logon ko hansana bhr se ek cartoonist ki jimmedaree poori nahin ho jati...

apni koochi k madhyam se samaaj ki gandagi saaf karne ka prayas kar raha hun bas...


aour ek baat ismen abhivyakti ki swatantrata ki koi bat nahi....

samaj main jo ghat raha hai usase apna muh nahi mod sakt...

aage bhi apna kaam imandaree se karta rahoonga....

shelley ने कहा…

अनुराग जी
मै कार्टून से सहमत हूँ आपने तो समाज का सच ही दिखाया है. कई बार ऐसी खबरे सुनने में आ रही हैं. पता नहीं कबतक चंडाल बना रहेगा हमारा समाज . आप अफ़सोस नहीं बधाई के पात्र हैं

बेनामी ने कहा…

अनुराग जी आपको माफी मांगने की कतई जरूरत नहीं है । ये तो आपकी संवेदनशीलता है कि इस घिनौने अपराध पर कार्टून बनाते वक्त भी आप इसे मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि सभ्यता का सबसे निकृष्ट उदाहरण मान रहे हैं ।

neera ने कहा…

what a way to raise awareness about such delicate issues! Well Done!

shama ने कहा…

ये आजकल की बात नही है ..एकत्रित परिवार पद्धती में ये सब दबा -सा रह जाता था ...चाचा भतीजी के सम्बन्ध , देहलीज़ के अनादर ही दबा दिए जाते थे ...लडकी की क्या मानसिक स्थिति होती होगी ...सोचके भी डर लगता है ...उसे तो अपराध बोध तले दबा दिया जाता था ...और कुछ कहे तो समाज की darse , चुप कराया जाता ...

ऐसा नही की, ये हमारे ही देश में होता रहा...पाश्चात्य देशों में भी ऐसा चलता रहा है...मानव जात दुनियामे कहीं भी जायें,एकही होती है...

monsoon wedding",ये बेहतरीन फ़िल्म बनी थी, ऐसे रिश्तोंपे.

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