अनुराग जी, कार्टून अपने आप मे ही एक पूरा कथानक होता है. समाज के दोषो को व्यंग्यात्मक तरीके से उजागर करा देना और वो भी किसी चित्र के माध्यम से , सचमुच आसन नही/ मे आर के लक्ष्मण से कुछ ज्यादा प्रभावित हू इस्लिये हमेशा उनके कार्टूनो से तुलना करने कि गुस्ताखी कर देता हू, यह ठीक नही. बस चाहता हू आप बारिक से बारिक पंच लाये, जैसा मैने आपके कलिग अजय सक्सेना के लिये भी कहा था/ शायद आप दोनो एक ही संस्थान मे कार्यरत है? खैर../ बहुत अच्छा बनाते है आप, मैरी शुभकामनये//
स्कूल की कॉपी-किताबों में कार्टून बनाते-बनाते कब कार्टूनिस्ट बन गया
कुछ पता ही नहीं चला. गालव रषि की तपोभूमि ग्वालियर में जन्म पाया.
कार्टून के शौक को देखते हुए पिता श्री के.सी. चतुर्वेदी ने प्रोत्साहित
किया. अखबारों में कार्टूनिंग की विधिवत शुरुआत १९९३ दैनिक भास्कर,
ग्वालियर से हुई. कार्टूनिंग के इस सफर में ग्वालियर, रोहतक, जयपुर,
भोपाल में काम करने का मौका मिला. पिछले एक साल से राष्ट्रीय दैनिक
हरिभूमि में ग्रुप कार्टूनिस्ट की हैसियत से काम कर रहा हूं....
अनुराग चतुर्वेदी
98938-86910
5 टिप्पणियां:
वाह अनुराग जी मान गये आपकी पैनी नज़र को बडिया आभार्
अनुराग जी,
कार्टून अपने आप मे ही एक पूरा कथानक होता है. समाज के दोषो को व्यंग्यात्मक तरीके से उजागर करा देना और वो भी किसी चित्र के माध्यम से , सचमुच आसन नही/ मे आर के लक्ष्मण से कुछ ज्यादा प्रभावित हू इस्लिये हमेशा उनके कार्टूनो से तुलना करने कि गुस्ताखी कर देता हू, यह ठीक नही. बस चाहता हू आप बारिक से बारिक पंच लाये, जैसा मैने आपके कलिग अजय सक्सेना के लिये भी कहा था/ शायद आप दोनो एक ही संस्थान मे कार्यरत है? खैर../ बहुत अच्छा बनाते है आप, मैरी शुभकामनये//
Lovely sketch... I liked the idea.
यार ये कार्टूनिस्ट भी बड़े गजब होते हैं, सिगरेट सी पतली टांगों पर भारी भरकम शरीर कैसे खडा कर देते हैं , टांगे नहीं टूटती ???
Lovely sketch... I liked the idea.
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