शुक्रवार, 19 जून 2009

चमचा नम्बर १.........




5 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह अनुराग जी मान गये आपकी पैनी नज़र को बडिया आभार्

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

अनुराग जी,
कार्टून अपने आप मे ही एक पूरा कथानक होता है. समाज के दोषो को व्यंग्यात्मक तरीके से उजागर करा देना और वो भी किसी चित्र के माध्यम से , सचमुच आसन नही/ मे आर के लक्ष्मण से कुछ ज्यादा प्रभावित हू इस्लिये हमेशा उनके कार्टूनो से तुलना करने कि गुस्ताखी कर देता हू, यह ठीक नही. बस चाहता हू आप बारिक से बारिक पंच लाये, जैसा मैने आपके कलिग अजय सक्सेना के लिये भी कहा था/ शायद आप दोनो एक ही संस्थान मे कार्यरत है? खैर../ बहुत अच्छा बनाते है आप, मैरी शुभकामनये//

Indrani ने कहा…

Lovely sketch... I liked the idea.

Murari Pareek ने कहा…

यार ये कार्टूनिस्ट भी बड़े गजब होते हैं, सिगरेट सी पतली टांगों पर भारी भरकम शरीर कैसे खडा कर देते हैं , टांगे नहीं टूटती ???

सुजित बालवडकर ने कहा…

Lovely sketch... I liked the idea.