स्कूल की कॉपी-किताबों में कार्टून बनाते-बनाते कब कार्टूनिस्ट बन गया
कुछ पता ही नहीं चला. गालव रषि की तपोभूमि ग्वालियर में जन्म पाया.
कार्टून के शौक को देखते हुए पिता श्री के.सी. चतुर्वेदी ने प्रोत्साहित
किया. अखबारों में कार्टूनिंग की विधिवत शुरुआत १९९३ दैनिक भास्कर,
ग्वालियर से हुई. कार्टूनिंग के इस सफर में ग्वालियर, रोहतक, जयपुर,
भोपाल में काम करने का मौका मिला. पिछले एक साल से राष्ट्रीय दैनिक
हरिभूमि में ग्रुप कार्टूनिस्ट की हैसियत से काम कर रहा हूं....
अनुराग चतुर्वेदी
98938-86910
7 टिप्पणियां:
namaskar anurag ji
main to aapka bahut bada fan hoon sir ji , kya behatreen cartoons hai .. aapko dil se badhai .
dhanywad.
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
Vijay
Ha ha ha .........mast hei bhiya....sahi hei.......
face expression bahut sahi hen........
bahut khub. narayan narayan
सबसे अधिक खराब दिन वे हैं जब हम एक बार भी हंंसी के ठहाके नहीं लगाते हैं।
प्रणव मुर्ख जी ने साबित कर दिया की वे..
हाहाहाहाहा मज़ा आ गया। कुछ नहीं पता बच के रहना भय्या
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