sriman ji , bahut hi accha laga .hum logo ki ek avyavsayik patrika ''loksangharsh'' prakashit hoti hai yadi sambhav ho to kuch kartooon hamari patrika k liye bhi banane ka kast karein .
aur 'ha' se hindi ko auronke muhe me zabardasti bulwana (shove hindi into others mouth forcefully)
aur 'ra' se rashtrabhasha, aur baki bhasha gayi bhad mein (R for Rashtrabhasha, other languages can be thrown into trash!)In reality, India has no national language!
म से मराठी, क से कन्नड़, त से तमिल, उ से उडिया, ब से बेंगोली, प से पंजाबी, ग से गारो, ख से ख़ासी यदि नही बोला गया तो जल्दी ही समस्त भारत यूपी बिहार जैसा दकियानूसी और दांभिक हो जाएगा. लगता है आप भी उन लोगो मे से है जो 'हिन्दी राष्ट्रभाषा है' जैसी अफवाहॉ पर विश्वास करते है...
स्कूल की कॉपी-किताबों में कार्टून बनाते-बनाते कब कार्टूनिस्ट बन गया
कुछ पता ही नहीं चला. गालव रषि की तपोभूमि ग्वालियर में जन्म पाया.
कार्टून के शौक को देखते हुए पिता श्री के.सी. चतुर्वेदी ने प्रोत्साहित
किया. अखबारों में कार्टूनिंग की विधिवत शुरुआत १९९३ दैनिक भास्कर,
ग्वालियर से हुई. कार्टूनिंग के इस सफर में ग्वालियर, रोहतक, जयपुर,
भोपाल में काम करने का मौका मिला. पिछले एक साल से राष्ट्रीय दैनिक
हरिभूमि में ग्रुप कार्टूनिस्ट की हैसियत से काम कर रहा हूं....
अनुराग चतुर्वेदी
98938-86910
9 टिप्पणियां:
bilkul shi .aapke blog par phli bar hi aana hua hau cartun ke share apni bat khna bda kthin hai kitu aapne ise bhubi nibhaya hai .
sriman ji ,
bahut hi accha laga .hum logo ki ek avyavsayik patrika ''loksangharsh'' prakashit hoti hai yadi sambhav ho to kuch kartooon hamari patrika k liye bhi banane ka kast karein .
बहुत बढ़िया और मज़ेदार लगा! सही है महाराष्ट्र में ऐसी ही शिक्षा दी जाती है!
कार्टूनी भाषा मैं कुछ बताओ तो जल्दी असर करता है और समझ मैं आता है !!! "म' से मराठा "श" से शिवाजी और और "ब"
से बाल ठाकरे !!
bahut mazedaar hai ye tho!!!
म से मराठी तो बुलवा दिया. म से मानुष भी बुलवाईए मेरे भाई
म से मार
हर बार की तरह
मार में भी धार
aur 'ha' se hindi ko auronke muhe me zabardasti bulwana
(shove hindi into others mouth forcefully)
aur 'ra' se rashtrabhasha, aur baki bhasha gayi bhad mein
(R for Rashtrabhasha, other languages can be thrown into trash!)In reality, India has no national language!
Typical north indian attitude.
म से मराठी, क से कन्नड़, त से तमिल, उ से उडिया, ब से बेंगोली, प से पंजाबी, ग से गारो, ख
से ख़ासी यदि नही बोला गया तो जल्दी ही समस्त भारत यूपी बिहार जैसा दकियानूसी और दांभिक हो जाएगा.
लगता है आप भी उन लोगो मे से है जो 'हिन्दी राष्ट्रभाषा है' जैसी अफवाहॉ पर विश्वास करते है...
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